ऑपरेशन सिंदूर: लोकसभा में गूंजी देश की सुरक्षा और सियासत की बहस
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संबोधन: लोकसभा में चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का विस्तृत बचाव किया। उन्होंने भारत की जवाबी कार्रवाई की प्रभावशीलता और आतंकवाद के खिलाफ सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति पर जोर दिया।
- विपक्ष की आलोचना और सवाल:
- कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर पहलगाम हमले में खुफिया विफलता और आंतरिक सुरक्षा खामियों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि आतंकियों को पहलगाम तक कैसे पहुंचने दिया गया और सरकार ने इस हमले की जिम्मेदारी क्यों नहीं ली।
- विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए और सरकार से यह बताने की मांग की कि इस ऑपरेशन से देश को क्या फायदा हुआ।
- कुछ विपक्षी सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे का भी उल्लेख किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया था, और सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।
- कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने ऑपरेशन सिंदूर को सरकार का ‘तमाशा’ बताया।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पहलगाम हमले पर भारत की सैन्य प्रतिक्रिया सीमा पार आतंकवाद से निपटने में एक “नए सामान्य” का संकेत देती है। उन्होंने भारत के पांच-बिंदु वाले दृष्टिकोण को रेखांकित किया:
- आतंकवादियों को प्रॉक्सी के रूप में नहीं माना जाएगा।
- सीमा पार आतंकवाद को उचित जवाब मिलेगा।
- आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते – केवल आतंकवाद पर बातचीत संभव है।
- भारत परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा।
- आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने किसी भी बाहरी मध्यस्थता से इनकार किया और कहा कि अमेरिका की युद्धविराम में कोई भूमिका नहीं थी।
- अमित शाह का जवाब: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार तीनों आतंकी – सुलेमान उर्फ फैजल, आसिफ और जिब्रान – मारे गए हैं, जो सेना और सीआरपीएफ के संयुक्त ऑपरेशन का परिणाम था।
- शशि थरूर की भूमिका और पीएम मोदी की टिप्पणी:
- कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए अमेरिका और अन्य देशों में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, चर्चा में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने रहे।
- हालांकि, वह कांग्रेस पार्टी की बोलने वालों की सूची में नहीं थे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधा कि उसने थरूर को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया, यह कहते हुए कि “कुछ नेताओं को लोकसभा में बोलने से रोका गया, क्योंकि कांग्रेस भारत के रुख को प्रभावी ढंग से विश्व मंच पर रखने से दुखी थी।”
- सूत्रों के अनुसार, थरूर को कांग्रेस द्वारा बोलने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और इसके बजाय ‘इंडियन पोर्ट्स बिल, 2025’ पर बोलना पसंद किया।
- थरूर का ऑपरेशन सिंदूर के प्रति सार्वजनिक समर्थन पार्टी के भीतर आलोचना और शीर्ष नेतृत्व से विरोध का कारण बना है।
कुल मिलाकर, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में हुई चर्चा एक गहन और राजनीतिक रूप से चार्ज्ड बहस थी, जिसमें सरकार ने अपनी कार्रवाई का बचाव किया, जबकि विपक्ष ने खुफिया विफलताओं और ऑपरेशन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।
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